Saturday, 1 January 2011

फ़र्ज़ी नोटों का मुकाबला उच्च तकनीक से

फ़र्ज़ी नोटों की समस्या से भारत लंबे समय से जूझता आया है.तमाम कोशिशों के बावजूद देश में फ़र्ज़ी नोटों का लेन-देन बढ़ रहा है.सुरक्षा और अर्थव्वयस्था से जुड़ी चिंताओं को देखते हुए अब सरकार ने इस समस्या से निपटने के लिए तकनीक का सहारा लिया है.भारतीय रुपए को जल्द ही नया रंग रूप दिया जाएगा. सरकार ने मुद्रा छापने वालों को निर्देश दिए हैं कि वो नोटों पर उच्च तकनीक वाले कई नए पहलुओं को शामिल करे.इसमें अदृश्य फ़ाइबर और रंग बदलती स्याही शामिल है.

कुछ समय पहले एक अंतर-मंत्रालय पैनल ने रिपोर्ट सौंपी थी कि अर्थव्यवस्था में फ़र्ज़ी नोटों की संख्या अब चिंताजनक स्तर पर पहुंच गई है.अधिकारियों का कहना है कि भारतीय बैंकिंग प्रणाली में 80 लाख फ़र्ज़ी नोट हो सकते हैं.स्थानीय ख़बरों के मुताबिक अक्तूबर तक करीब 50 लाख फ़र्ज़ी नोटों की पहचान की गई है.इस समस्या से निपटने के लिए सरकार ने एक उच्च स्तरीय समिति भी गठित की है.सरकार को आशंका है कि इस फ़र्ज़ी धनराशि का इस्तेमाल अवैध गतिविधियों को चलाने के लिए किया जा सकता है.इसके अलावा व्यापार के लिए सुरक्षित माने जाने वाले भारत की छवि को भी इससे नुकसान होगा.

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