Wednesday 13 April 2011

नोएडा: सदमे के चलते 7 महीने तक कैद रहीं दो बहनों में से बड़ी की मौत

नोएडा. यहां के सेक्टर-29 में अपने ही घर में 7 महीने से बंद दो बहनों में से बड़ी बहन की बुधवार सुबह मौत हो गई। पुलिस ने मंगलवार को इन दोनों बहनों को उनके घर से बाहर निकालकर अस्‍पताल में भर्ती कराया था। रेज़ीडेंट वेल्फेयर एसोसिएशन ने कुछ दिन पहले पुलिस को शिकायत दर्ज कराई थी कि सेक्‍टर 29 के फ्लैट नंबर 326 में रहने वालों का अता-पता नहीं है क्योंकि कोई बाहर नहीं निकलता पर आवाज अकसर सुनी जा सकती है।

मंगलवार सुबह नोएडा पुलिस एक समाजसेवी संगठन की मदद से इस फ्लैट में पहुंची। आरडब्ल्यूए के मुताबिक यहां पर एक रिटायर्ड कर्नल अपने तीन बच्चों के साथ रहते थे। सात महीने पहले जब रिटायर्ड कर्नल की मौत हुई तो इस घर का लड़का भी यहां से चला गया और दो बहनें यहीं रह गई।  2007 में भाई की शादी हुई तो वो भी उन्हें छोड़ कर चला गया। करीब 7 महीने पहले उनके सबसे प्यारे कुत्ते की भी मौत हो गई जिससे दोनों ही डिप्रेशन का शिकार हो गई।  तभी से कभी घर का दरवाजा खुला नहीं देखा गया। जब पुलिस दरवाजा खोलने की कोशिश कर रही थी, तो अंदर से नहीं-नहीं की हल्की और कमज़ोर सी आवाज आ रही थी।

पुलिस और समाजसेवी संगठन ने दोनों लड़कियों को बाहर निकाला। दोनों की हालत भूख और पानी की कमी के कारण बेहद खराब थी। बड़ी बहन अनुराधा बहल (44) चार्टर्ड अकाउंटेंट रह चुकी हैं जबकि छोटी बहन सोनाली बहल (40) कंप्यूटर साइंस में ग्रैजुएशन करने के बाद सेक्टर-6 की एक गारमेंट कंपनी में जॉब करती थी। इनका एक छोटा भाई विपिन बहल भी है जो गुड़गांव में इंजीनियर है और पिछले डेढ़ साल से बहनों से अलग रह रहा है। अलग होने के बाद से उसने बहनों से संपर्क नहीं किया था। इससे दोनों का डिप्रेशन और भी बढ़ गया। पहले अनुराधा डिप्रेशन की शिकार हुई और खुद को घर में बंद कर लिया। उसे देख छोटी बहन ने भी नौकरी छोड़ दी और घर में रहने लगी।

समाजसेवी ऊषा ठाकुर मे बताया कि दोनों लड़कियों ने खुद को घर में स्वेच्छा से बंद कर रखा था। ऊषा ने कहा, 'जब मैंने दरवाजे के छेद से झांककर देखा तो एक लड़की मुझे डांटने लगी और जाने को कहा तब मैंने पुलिस को बुलाया'। ठाकुर ने बताया कि दरवाजा खोले जाने पर कमरे में से बहुत बदबू आ रही थी। एक तो उठने की स्थिति में नहीं थी और पूरी तरह से कंकाल हो चुकी थी। उसे किसी तरह स्ट्रेचर पर बाहर लाया गया। दूसरी बहन भी सूख चुकी थी। उसके मुंह से इतनी बदबू आ रही थी कि उसके सामने खड़ा होना भी मुश्किल था। वो तीन-तीन स्वेटर पहने हुई थी जो वे अपने पिता की मृत्यु के बाद से पहने हुई थी। दोनों बहनों को नोएडा के कैलाश अस्पताल में भर्ती कराया गया।

आरडब्ल्यूए के सदस्य कर्नल शर्मा ने बताया कि रोज दरवाज़ा खुलवाने की कोशिश की जाती थी पर लड़कियों ने दरवाजा नहीं खोला।  ठाकुर ने बताया कि कल पुलिस यहां आई तब भी लड़कियों ने दरवाजा नहीं खोला। इन लड़कियों ने खाना नहीं खाया, पानी नहीं पिया। कपड़े भी 6 महीने से नहीं बदले।

आपकी बात

इस घटना को आधुनिक समाज में रिश्‍तों में पड़ती दरारों के नतीजे के तौर पर देखा सकता है। लेकिन क्‍या कोई किसी घटना से इस कदर तनावग्रस्‍त हो सकता है कि वो खुद को महीनों तक कमरे में बंद कर ले और दुनिया से खुद का संपर्क काट ले? यह घटना समाज के किस चेहरे को प्रतिबिंबित करती है? अपनी राय नीचे कमेंट बॉक्‍स में लिखकर दुनियाभर के पाठकों से शेयर करें। 

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