लीबिया पर गठबंधन सेनाओं के हमले के विरोध में विश्वभर से आवाजें आ रही हैं। रविवार सुबह चीन के विदेश मंत्रालय ने लीबिया पर जारी गठबंधन सेनाओं के हमलों की निंदा करते हुए कहा कि चीन अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में सेना के इस्तेमाल के सख्त खिलाफ है।
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विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि चीन लीबिया में जारी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और लीबिया में जो रहा है उसपर अफसोस जाहिर करता है। चीन ने अपने बयान में लीबिया में विद्रोहियों और गद्दाफी सेनाओं के बीच जारी संघर्ष के सीज फायर की मांग भी नहीं की है और कहा है कि चीन उत्तरी अफ्रीका के स्वतंत्र राष्ट्र लीबिया की स्वतंत्रता, स्वप्रभुता और एकता का सम्मान करता है। बयान में कहा गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही लीबिया में जारी संघर्ष थम जाएगा और नागरिकों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
वहीं लीबिया घटनाक्रम पर गठित अफ्रीकन यूनियन के पैनल ने लीबिया पर गठबंधन सेनाओं के हमले रोके जाने की मांग की है। मॉरिटानिया की राजधानी में चार घंटे से अधिक चली मीटिंग के बाद यूनियन ने यह भी कहा कि लीबिया को जरूरतमंदों को तुरंत स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करानी चाहिए और लीबिया में रह रहे अफ्रीकियों की सुरक्षा की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।
वहीं रूस ने भी लीबिया पर हुए मिसाइल हमलों की निंदा करते हुए कहा दोनों ओर से तुरंत संघर्ष विराम होना चाहिए। रुस ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र के बल प्रयोग के संकल्प को जल्दबाजी में अपनाया गया है। रूस के विदेश मंत्रालय ने द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हम लीबिया और लीबिया पर हमला कर रहीं गठबंधन सेनाओं से अपील करते हैं कि वो शांति बहाली के लिए प्रयास करें।
हम यह यकीन करते हैं कि लीबिया में लोकतंत्र की स्थापना के लिए खून खराबा तुरंत रूकना चाहिए और लीबिया के लोगों को आपसी सहमति से मामले को सुलझाना चाहिए। गौरतलब है कि गुरुवार को लीबिया पर नो फ्लाइ जोन लागू करने के लिए हुई संयुक्त राष्ट्र की बैठक से रूस नदारद रहा था। भारत, चीन, ब्राजील और जर्मनी ने भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।
संयुक्त राष्ट्र परिषद के 15 में से अन्य दस सदस्यों ने लीबिया पर नो फ्लाई जोन लागू कराने और गठबंधन सेनाओं द्वारा हवाई हमले कर लीबिया की सैन्य क्षमताओं को नष्ट करने की अनुमति दी थी।
वहीं ईरान ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा है कि लीबिया के तेल पर कब्जा करने का पश्चिमी देशों का यह घिनौना अपराध है। हालांकि ईरान ने लीबिया में गद्दाफी के विरोध में हो रहे प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा है कि यह गद्दाफी के खिलाफ इस्लामिक क्रांति है। ईरान ने यह भी कहा है कि लीबिया के लोगों को पश्चिमी देशों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। वो अपने खास मकसदों को हल करने के लिए उनके साथ होने का दिखावा कर रहे हैं। तेहरान से जारी बयान में कहा गया है कि आमतौर पर पश्चिमी देश लुभावने नारों के साथ दूसरे देशों में घुंसते हैं और फिर वहां अपने हित साधना शुरु कर देते हैं।
अमेरिका के धुर विरोधी और गद्दाफी के करीबी वैनेजुएला के राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज ने भी अमेरिकी हमलों की निंदा की है। बेलिविया, निकारगुआ के राष्ट्रपतियों इवो मोरालेस और डेनियल ओरटेगा ने भी लीबिया पर हुए हमलों की निंदा की है। वहीं क्यूबा की क्रांति के जनक और पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो ने हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह पश्चिमी देशों द्वारा किया गया एक दुष्ट कृत्य है। पूंजीवादी देश बहुत बुरा कर रहे हैं।
ह्यूगो शावेज का कहना है कि यह सब लीबिया के तेल पर कब्जा करने के लिए किया जा रहा है। अपने संबोधन में शावेज ने कहा कि जितनी मौतें होंगी उतना ही युद्ध भड़केगा। पश्चिमी देश युद्ध छेड़ने में माहिर हैं और इस सबके पीछे अमेरिका का हाथ है। उनका सिर्फ एक ही मकसद है किसी भी तरीके से लीबिया के तेल पर कब्जा करना। उनके लिए लीबिया के लोगों की जान के कोई मायने नहीं है।
यह बेहद शर्मनाक है कि एक बार फिर यांकी साम्राज्य और उसके सहयोगियों की युद्धपरक नीतियां थोपी जा रही हैं और यह खेदजनक है कि संयुक्त राष्ट्र युद्ध छेड़ने में मदद कर रहा है। युद्ध की अनुमति देकर संयुक्त राष्ट्र अपने बुनियादी सिद्धांतों का ही उल्लंघन कर रहा है जबकि होना यह चाहिए था कि संयुक्त राष्ट्र एक आयोग बनाकर लीबिया भेजता लेकिन उसने तो हमला करने के लिए युद्धक विमान भेजे हैं।
विदेश मंत्रालय द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि चीन लीबिया में जारी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं और लीबिया में जो रहा है उसपर अफसोस जाहिर करता है। चीन ने अपने बयान में लीबिया में विद्रोहियों और गद्दाफी सेनाओं के बीच जारी संघर्ष के सीज फायर की मांग भी नहीं की है और कहा है कि चीन उत्तरी अफ्रीका के स्वतंत्र राष्ट्र लीबिया की स्वतंत्रता, स्वप्रभुता और एकता का सम्मान करता है। बयान में कहा गया है कि हम उम्मीद करते हैं कि जल्द ही लीबिया में जारी संघर्ष थम जाएगा और नागरिकों को सुरक्षा प्रदान की जाएगी।
वहीं लीबिया घटनाक्रम पर गठित अफ्रीकन यूनियन के पैनल ने लीबिया पर गठबंधन सेनाओं के हमले रोके जाने की मांग की है। मॉरिटानिया की राजधानी में चार घंटे से अधिक चली मीटिंग के बाद यूनियन ने यह भी कहा कि लीबिया को जरूरतमंदों को तुरंत स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करानी चाहिए और लीबिया में रह रहे अफ्रीकियों की सुरक्षा की भी व्यवस्था की जानी चाहिए।
वहीं रूस ने भी लीबिया पर हुए मिसाइल हमलों की निंदा करते हुए कहा दोनों ओर से तुरंत संघर्ष विराम होना चाहिए। रुस ने यह भी कहा कि संयुक्त राष्ट्र के बल प्रयोग के संकल्प को जल्दबाजी में अपनाया गया है। रूस के विदेश मंत्रालय ने द्वारा जारी बयान में कहा गया है कि हम लीबिया और लीबिया पर हमला कर रहीं गठबंधन सेनाओं से अपील करते हैं कि वो शांति बहाली के लिए प्रयास करें।
हम यह यकीन करते हैं कि लीबिया में लोकतंत्र की स्थापना के लिए खून खराबा तुरंत रूकना चाहिए और लीबिया के लोगों को आपसी सहमति से मामले को सुलझाना चाहिए। गौरतलब है कि गुरुवार को लीबिया पर नो फ्लाइ जोन लागू करने के लिए हुई संयुक्त राष्ट्र की बैठक से रूस नदारद रहा था। भारत, चीन, ब्राजील और जर्मनी ने भी इस बैठक में हिस्सा नहीं लिया था।
संयुक्त राष्ट्र परिषद के 15 में से अन्य दस सदस्यों ने लीबिया पर नो फ्लाई जोन लागू कराने और गठबंधन सेनाओं द्वारा हवाई हमले कर लीबिया की सैन्य क्षमताओं को नष्ट करने की अनुमति दी थी।
वहीं ईरान ने इन हमलों की निंदा करते हुए कहा है कि लीबिया के तेल पर कब्जा करने का पश्चिमी देशों का यह घिनौना अपराध है। हालांकि ईरान ने लीबिया में गद्दाफी के विरोध में हो रहे प्रदर्शन का समर्थन करते हुए कहा है कि यह गद्दाफी के खिलाफ इस्लामिक क्रांति है। ईरान ने यह भी कहा है कि लीबिया के लोगों को पश्चिमी देशों पर भरोसा नहीं करना चाहिए। वो अपने खास मकसदों को हल करने के लिए उनके साथ होने का दिखावा कर रहे हैं। तेहरान से जारी बयान में कहा गया है कि आमतौर पर पश्चिमी देश लुभावने नारों के साथ दूसरे देशों में घुंसते हैं और फिर वहां अपने हित साधना शुरु कर देते हैं।
अमेरिका के धुर विरोधी और गद्दाफी के करीबी वैनेजुएला के राष्ट्रपति ह्यूगो शावेज ने भी अमेरिकी हमलों की निंदा की है। बेलिविया, निकारगुआ के राष्ट्रपतियों इवो मोरालेस और डेनियल ओरटेगा ने भी लीबिया पर हुए हमलों की निंदा की है। वहीं क्यूबा की क्रांति के जनक और पूर्व राष्ट्रपति फिदेल कास्त्रो ने हमलों पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि यह पश्चिमी देशों द्वारा किया गया एक दुष्ट कृत्य है। पूंजीवादी देश बहुत बुरा कर रहे हैं।
ह्यूगो शावेज का कहना है कि यह सब लीबिया के तेल पर कब्जा करने के लिए किया जा रहा है। अपने संबोधन में शावेज ने कहा कि जितनी मौतें होंगी उतना ही युद्ध भड़केगा। पश्चिमी देश युद्ध छेड़ने में माहिर हैं और इस सबके पीछे अमेरिका का हाथ है। उनका सिर्फ एक ही मकसद है किसी भी तरीके से लीबिया के तेल पर कब्जा करना। उनके लिए लीबिया के लोगों की जान के कोई मायने नहीं है।
यह बेहद शर्मनाक है कि एक बार फिर यांकी साम्राज्य और उसके सहयोगियों की युद्धपरक नीतियां थोपी जा रही हैं और यह खेदजनक है कि संयुक्त राष्ट्र युद्ध छेड़ने में मदद कर रहा है। युद्ध की अनुमति देकर संयुक्त राष्ट्र अपने बुनियादी सिद्धांतों का ही उल्लंघन कर रहा है जबकि होना यह चाहिए था कि संयुक्त राष्ट्र एक आयोग बनाकर लीबिया भेजता लेकिन उसने तो हमला करने के लिए युद्धक विमान भेजे हैं।
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