नई दिल्ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ जनआंदोलन खड़ा करने वाले अन्ना हजारे ने गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की जमकर तारीफ की। और शरद पवार से मंत्रीपद छोड़ने की अपील की है। इधर जन लोकपाल बिल का मसौदा तैयार करने के लिए गठित संयुक्त समिति के मुद्दे पर बाबा रामदेव के बयान के बाद काफी बवाल हो गया है।
बाबा रामदेव ने समिति में शांतिभूषण और उनके बेटे को रखने को परिवार वाद बताया है। अन्ना हजारे ने आज स्वामी रामदेव को सलाह दी कि वे देशहित में सोचें। शांतिभूषण ने भी बाबा पर पलटवार करते हुए कहा कि कमेटी में योग नहीं करवाना है, वहां कानून की बारीकियां जानने वालों की जरुरत है। हालांकि बाबा रामदेव ने भी अपनी सफाई में कहा है कि उन्हें कमेटी बनाए जाने और बाकी निर्णयों से को आपत्ति नहीं है।
अन्ना हजारे ने कहा कि बाबा रामदेव को कुछ गलतफहमी हो गई होगी। शांतिभूषण ने भी कहा कि बाबा सोचसमझकर बोलें। कमेटी को कानून के जानकारों की जरुरत है और इसमें कोई परिवारवाद नहीं है।
बाबा रामदेव ने आज कहा कि कमेटी गठित करने में उनका कोई योगदान नहीं है। और परिवारवाद का प्रश्न लोग उनसे पूछ रहे हैं उन्हें क्या जवाब दिया जाए। उन्होंने साफ किया कि इसके अलावा उनका कोई मतभेद नहीं है।
इसी बीच कमेटी के सिविल सोसायटी के सदस्यों पर मतभेद के बाद प्रशांत भूषण ने कहा है कि जरुरत पड़ने पर वे पद छोड़ने को तैयार हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी स्वाभिमान यात्रा निकाल चुके और अन्ना की मुहिम का समर्थन करने वाले रामदेव ने इस बात का विरोध किया है कि मसौदा तैयार करने वाली समिति में शांति भूषण और प्रशांत भूषण (दोनों पिता-पुत्र हैं) नहीं हो सकते। लेकिन अन्ना की मुहिम के सहयोगी और सरकार से बातचीत में शामिल रहे अग्निवेश ने इसे महज संयोग करार दिया।
पीटीआई के अनुसार प्रशांत भूषण ने कहा है कि व्यक्तिगत रूप से वे खुद भी पैनल में शामिल होने के पक्ष में नहीं हैं। किसी और को सदस्य बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि वे लोकपाल बिधेयक का ड्राफ्ट बनाने में शामिल थे, उन्हें अन्ना हजारे की कमेटी में सामिल किया गया है। फिलहाल वे टीम के सदस्य हैं लेकिन जरुरत पड़ने पर वे पद छोड़ देंगे।
भ्रष्ट को सूली और पैसे की खून से वसूली का प्रावधान हो ड्राफ्ट में
भारत स्वाभिमान आंदोलन ने भी लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी में पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और उनके पुत्र को शामिल किए जाने की कड़ी आलोचना की है। भारत स्वाभिमान के प्रवक्ता एसके तिजरावाला ने कहा कि सितंबर 2010 में भ्रष्टाचार का मुद्दा हमने पहली बार उठाया और उसमें अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित किया। इसके बाद इस साल 27 फरवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली आयोजित की गई। इसमें लाखों लोग जमा हुए और हमारे कार्यकर्ताओं ने इसे सफल बनाने में काफी मेहनत की।
तिजरावाला ने कहा कि हमसे कई लोग पूछ रहे हैं पिता मुखिया, बेटा सदस्य औऱ केजरीवाल की सीट का रहस्य। लेकिन हम इस पर कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ते समय हमें परिवारवाद और जातिवाद से कोसों दूर रहना होगा। उन्होंने कहा कि जनलोकपाल विधेयक में भ्रष्ट को सूली और पैसे की खून से वसूली के बिना सफल नहीं होगा।
हरिद्वार में बाबा रामदेव ने कमेटी में पिता पुत्र को शामिल करने पर कहा है कि यह भाई भतीजावाद का परिचायक है। रामदेव ने कहा कि कमेटी में पिता और पुत्र को शामिल करने का क्या औचित्य है?
आपका मत
क्या बाबा रामदेव के संगठन भारत स्वाभिमान का मुद्दा भ्रष्ट को सूली और पैसे की खून से वसूली का मुद्दा ठीक है? बाबा रामदेव को इस मौके पर पैनल के सदस्यों पर आपत्ति उठाना चाहिए था? क्या इससे अन्ना हजारे द्वारा उठाया गया मुद्दा कमजोर नहीं पड़ा है? इन सभी मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपनी राय।
अन्ना हजारे ने कहा कि बाबा रामदेव को कुछ गलतफहमी हो गई होगी। शांतिभूषण ने भी कहा कि बाबा सोचसमझकर बोलें। कमेटी को कानून के जानकारों की जरुरत है और इसमें कोई परिवारवाद नहीं है।
बाबा रामदेव ने आज कहा कि कमेटी गठित करने में उनका कोई योगदान नहीं है। और परिवारवाद का प्रश्न लोग उनसे पूछ रहे हैं उन्हें क्या जवाब दिया जाए। उन्होंने साफ किया कि इसके अलावा उनका कोई मतभेद नहीं है।
इसी बीच कमेटी के सिविल सोसायटी के सदस्यों पर मतभेद के बाद प्रशांत भूषण ने कहा है कि जरुरत पड़ने पर वे पद छोड़ने को तैयार हैं।
भ्रष्टाचार के खिलाफ देशव्यापी स्वाभिमान यात्रा निकाल चुके और अन्ना की मुहिम का समर्थन करने वाले रामदेव ने इस बात का विरोध किया है कि मसौदा तैयार करने वाली समिति में शांति भूषण और प्रशांत भूषण (दोनों पिता-पुत्र हैं) नहीं हो सकते। लेकिन अन्ना की मुहिम के सहयोगी और सरकार से बातचीत में शामिल रहे अग्निवेश ने इसे महज संयोग करार दिया।
पीटीआई के अनुसार प्रशांत भूषण ने कहा है कि व्यक्तिगत रूप से वे खुद भी पैनल में शामिल होने के पक्ष में नहीं हैं। किसी और को सदस्य बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि चूंकि वे लोकपाल बिधेयक का ड्राफ्ट बनाने में शामिल थे, उन्हें अन्ना हजारे की कमेटी में सामिल किया गया है। फिलहाल वे टीम के सदस्य हैं लेकिन जरुरत पड़ने पर वे पद छोड़ देंगे।
भ्रष्ट को सूली और पैसे की खून से वसूली का प्रावधान हो ड्राफ्ट में
भारत स्वाभिमान आंदोलन ने भी लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली कमेटी में पूर्व कानून मंत्री शांति भूषण और उनके पुत्र को शामिल किए जाने की कड़ी आलोचना की है। भारत स्वाभिमान के प्रवक्ता एसके तिजरावाला ने कहा कि सितंबर 2010 में भ्रष्टाचार का मुद्दा हमने पहली बार उठाया और उसमें अन्ना हजारे और अरविंद केजरीवाल को आमंत्रित किया। इसके बाद इस साल 27 फरवरी को दिल्ली के रामलीला मैदान में एक बड़ी रैली आयोजित की गई। इसमें लाखों लोग जमा हुए और हमारे कार्यकर्ताओं ने इसे सफल बनाने में काफी मेहनत की।
तिजरावाला ने कहा कि हमसे कई लोग पूछ रहे हैं पिता मुखिया, बेटा सदस्य औऱ केजरीवाल की सीट का रहस्य। लेकिन हम इस पर कोई जवाब नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से लड़ते समय हमें परिवारवाद और जातिवाद से कोसों दूर रहना होगा। उन्होंने कहा कि जनलोकपाल विधेयक में भ्रष्ट को सूली और पैसे की खून से वसूली के बिना सफल नहीं होगा।
हरिद्वार में बाबा रामदेव ने कमेटी में पिता पुत्र को शामिल करने पर कहा है कि यह भाई भतीजावाद का परिचायक है। रामदेव ने कहा कि कमेटी में पिता और पुत्र को शामिल करने का क्या औचित्य है?
आपका मत
क्या बाबा रामदेव के संगठन भारत स्वाभिमान का मुद्दा भ्रष्ट को सूली और पैसे की खून से वसूली का मुद्दा ठीक है? बाबा रामदेव को इस मौके पर पैनल के सदस्यों पर आपत्ति उठाना चाहिए था? क्या इससे अन्ना हजारे द्वारा उठाया गया मुद्दा कमजोर नहीं पड़ा है? इन सभी मुद्दों पर आप भी दे सकते हैं अपनी राय।
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